क्या ? जिंदगी कुछ ज्यादा मांग रही है ?


              आज का ब्लॉग मैं सुशांत सींग रजपूत जैसी कई अनकहीं कहानियो को डेडिकेट करना चाहती हूँ। जो शायद कुछ कहना तो चाहते थे पर कोई समझ नहीं पाया।


      क्या जिंदगी इतनी सस्ति हो गयी है ,या हम समझ  नहीं पा रहे है जिंदगी को कैसे जीना है ? ऐसी कोंनसी चीज हमें झंझोड़कर रख देती है, के हम अपनी समजनेकी ताकद भूल बैठते है ?
क्या आपको माँ बाप की चिंता नहीं ?  एक बार मुज़से बात की होती ?  यार काश मैं समझ पाता उसके दिल की बात ? यार गलती कर दी तूने ? एक कॉल कर देता यार ?

             कई सालो से लोग सिर्फ यही कहते आ रहे है ? पर किसीने कभी सोचा है, Suicide क्योँ करते है लोग ? जबकी इंसान उसकी पूरी जिंदगी मैं मौत से डरता है ? क्या सचमें इतना आसान होता होगा मौत को गले लगाना,  तो क्या हम ये समझे की वो लोग डरपोक नहीं होते।
मुझे बिलकुल भी नहीं पता क्या गुजरती होंगी या लोग उस वक़्त  क्या सोचते है, पर मेरा मन क्या कहता है मैं आपको जरूर बताना चाहती हूँ।  मुझे लगता है हम सबको अपना बचपन याद करना चाहिए ,बचपन मैं हम कितनी आसानी से आपने दिल की हर बात को बता देते थे , चाहे मार ही क्योँ न पड़े , हम कितनी आसानी से रोज की खेल कूद मैं एक दुसरेसे हारते थे, खेल कूद मैं हमें लग भी गयी तो भी बिना रुके घंटो भागते थे बिना किसी दर्द की एहसास से , कितनी बार दोस्त ने अगर कट्टी बोल दिया तो अपनी गलती मानकर दो उंगलियोंसे सॉरी बोल देते थे, और Time please बोलकर कितनी आसानी से खेल मैं रुकर फिर से टाइम को रिवाइंड कर लेते थे। 



    जैसे जैसे हम बड़े होते जा रहे है वैसे हम लाइफ को ज्यादा सीरियसली ले रहे है , और उसकी इम्पोर्टेंस बढा के खुदको छोटा दिखा रहे है ?  हम यैसे ही कह देते है " लाइफ है यार चलता रहता है, ये दीन भी गुजर जायेंगे " पर क्या खुद याद रखते है; नहीं ना ?
हम सब शायद ये भूल रहे है, जिंदगी एक बुढ़िया है जादुकी पुड़िया है,  हमसे पहले न थी कही पर अब डालें वो  डेरा है, जिंदगी तुमसे कभी मांग रही कुछ ज्यादा हों, तो बोल देना उसे तुम " जिंदगी हमसे है ,हम ही नहीं तो जिंदगी कहाँ "  

     मुझे पता है कई बार कुछ चीजे इतनी आसान नहीं होती, पर उसे कॉम्प्लिकेटेड बनाने वाले केमिकल्स कुछ लोग फ्री मैं बाट जाते है ? आखिर क्योँ डरते है हम अब मनकी बात बताने से? जी भर गया तो खुल कर रोने से?
सच बताऊ अब जब मैं बड़ी हुवी खुल कर बात बताई कभी तो लोग इर्रिटेशन समज़ने लगे, इमोशनल हुवी कभी तो कमजोर समज़ने लगे, दोस्तों से कभी टाइम माँगा तो बिजी का बहाना आता गया, मैं दस दींन भी बात न करू तो भी बहन भाई ने पूछना छोड़ दिया, बहोत किताबे पढ़ी चलो मन लगा लू कयी और  दिल की बाते दिल मैं रखनेकी आदत लगा ली कही, बहोत बार दर्द हुवा चिल्लाना चाहती थी , चिल्लाई कई बार पर शायद खिड़किया बाहर से बंद थी, रो लू मैं पिक्चर देखते भी तो दोस्त मेरे चिढ़ाते थे, रोतडु बच्चा बोलकर प्याम्पेर पहनके आ यैसा चिढ़ाते थे, साले खुलकर रोने भी नहीं देते थे ;और दो गंज रस्सी से बंधा देख , मुझे एक फ़ोन कर लेते यार ? पता नहीं इतने नकली इमोशन्स कहासे लाते है ?
शायद हम सब ने कही न कही, ये एक दुसरेके साथ किया है, तो क्या सचमें हमें हक़ है , किसीको मरनेके बाद तुझे  माँ बाप की चिंता नहीं ?  एक बार मुज़से बात की होती ?  यार काश मैं समझ पाता उसके दिल की बात ? यार गलती कर दी तूने ? एक कॉल कर देता यार ? 



            इसी लिए कह रही हूँ के अगर जिन्दगी हमसे कुछ ज्यादा मांग रही है ?  हमारे कई सवालो के जवाब को अगर परीक्षा कह कर, भागों यैसा डरा रही है, तो सुनो जरूर भागों परिक्शाये तो देनी ही पड़ेंगी पर भागते भागते ये भी नहीं भूलो के बचमन मैं  ' Time please'  बोलकर कितनी आसानी से खेल मैं रुककर फिर से टाइम को रिवाइंड कर लेना है । उन छोटी-छोटी गलियों को छोटी ही रहने दो लम्बी सड़के हमें चकमा नहीं देने देंगी, कितनी भी दूर क्योँ न चले जाये अँधेरा होने से पहले घर लौट आना ही है। और सबसे इम्पोर्टेन्ट बात कभी जिंदगी ने कट्टी कर  दी तो बड़ी आसानी से दो उंगलियों को आगे कर सॉरी बोल झटसे " Let it go कर  Move on " होना है। 

जी बिलकुल मौत हर सवाल का जवाब नहीं हो सकता? जवाब भी यही है। और सवाल भी। 
आप जानते है अब आपको क्या करना है ?
( इस लाइन को नहीं समझ पाए तो फिर एक बार पढ़े )

  Blog Written By - Padmaja S .Rajguru

























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