Dedicate to Dil Bechara and Cancer patients !!!
कभी-कभी किसी चीज का किसी चीज से कोई भी वास्तविक सबंध नहीं होता पर कुछ चीजे या उनमें छुपी भावनाये एक दुसरेसे कही न कही जुडी हुवी जरूर होती है,"दिल बेचारा" सिनेमा और उस्से जुड़े कई किस्से जैसे किज्जी,म्यानि और मैं।
मैं ? हा बिलकुल मैं पद्मजा अपनी लाइफ की एक रियल घटना आपके साथ शेयर करने जा रही हूँ। आखिर तक जरूर पढ़ना।
कल मैंने "दिल बेचारा" मूवी देखा,कल की डेट से लेकर बिलकुल एक साल पहले की बात है , मैं अपने शरीर के इंटरनल इन्फेक्शन्स,पेन और प्रोब्लेम्स को लेकर बहोत ज्यादा परेशान थी इसलिए मैं गायनोकोलॉजिस्ट से जाके मिली, डॉक्टर साहेबा ने कहा इन्फेक्शन बहोत ज्यादा है शायद इसलिए पेट मैं दर्द होता है ,पर मैं एक कोर्स दूंगी कुछ दींन मैं ठीक हो जायेगा,डॉक्टर ने बतायी सारी इन्सट्रक्शन ध्यान से सुनी उन्हें फॉलो किया टेबलेट्स भी टाइम पे ली पर पंधरा दींन से ऊपर का टाइम चला गया, पर मेरा दर्द कुछ कम नहीं हो रहा था, जब मैं फिर डॉक्टर साहेबा से मिली तो उन्होंने मुझे शायद लिवर इन्फेक्शन हो सकता है;तो कुछ टेस्ट करने के लिए बोले और टेस्ट की रिपोर्ट पांच दींन के बाद जब मैंने दिखाई तो;लिवर स्पेसलालिस्ट से जा मिलने की सलाह दी। जब मैंने लिवर स्पेशालिटी क्लिनिक मैं कॉल लगाया तो पंधरा दीन बाद की अपॉइनमेंट मिली।
जिस तरह का मुझे पेन होता था उसके लिए पंधरा दींन का टाइमिंग मतलब ये मेरे लिए इतना आसान नहीं था। मैं थोड़ा भी चलती थी तो मुझे बहोत ज्यादा लिवर पेन होता था , मेरे लिए सीढिया चढनी मतलब ना के बराबर था, कितनी भी भूक लगी तो भी पेट भर खा नहीं सकती थी फिर भी इस दौरान मैंने तीन दिन का एक्सिबिशन जिसकी प्रीबुकिंग एक महीने पहले हो चुकी थी ; जिसमें मेरे कंपनी ने पार्टीसिपेट किया था , उन दिनों पुरे पुरे दींन खड़े रहकर संभालन पड़ता था ,बिना कुछ खाये, मैंने सभी कस्टमर को हसी पूर्वक सर्विस दी ,डेली डोम्बिवली से गोरेगांव ट्रैन से ट्रैवलिंग भी की। बिना किसीसे कोई शिकायत किये क्योँकि दर्द से ज्यादा जरूरते ज्यादा थी पर सपनो से भरी एक पागल लड़की भी थी जिसे दर्द से मीठे अपने सपने लगते है।
कुछ दीन बाद जब लिवर स्पेशलिस्ट डॉक्टर की अप्पॉइंटमेंट मिली उन्होंने कहा मेरे लिवर पे छोटी सी गांठ है, इसलिए कुछ और टेस्ट करने पड़ेंगे, पहले ही टेस्ट करके मैं थक चुकी थी पर करना तो था। कुछ दींन बाद मेरे टेस्ट के रिपोर्ट आये इस बार जब मैं डॉक्टर से मिलने गयी तब मैं बिलकुल अकेली थी डॉक्टर साहब ने मेरे रिपोर्ट देखे और पेनिक होकर एक दो जगह फ़ोन किये मुझे बिलकुल नहीं पता था आखिर क्या हो रहा है , डॉक्टर साहब ने पूछा पेन अभी भी उतना ही फील होता है या कम हो गया है , मैंने कहा उतनाही फील होता है , डॉक्टर साहब ने पूछा आपके हसबंड नहीं आये आज ,मैंने कहा उनको इम्पोर्टेन्ट मीटिंग आ गयी सो आ नहीं पाए , डॉक्टर साहब ने मुझे बोला के अब मैं आपको कुछ पूछूंगा आपको सिर्फ उन सवालों के जवाब देने होंगे। मैंने हाँ कहा; डॉक्टर साहब ने मुझे बताया मेरे लिवर पे गांठ है पर किस वजहसे है , हम पता नहीं लगा पा रहे है , क्योँकि सब रिपोर्ट नार्मल दिखा रहे है , फिर भी पैन क्योँ हो रहा है।
इसके बाद जब डॉक्टर ने मुझे पूछा उस वजहसे जिंदगी मैं पहली बार मैं थम सी गयी और पूरी दुनिया मानो रुक सी गयी यैसे मुझे फील हुवा, डॉक्टर ने कहा आपकी फॅमिली मैं कभी किसी को कैंसर जैसी कोई बीमारी थी क्या? मैंने कहा हाँ मेरी बुवा को था , डॉक्टर ने कहा ओ माय गॉड।
मेरी पेट मैं दर्द कम अब दिल मैं होने लगा था जैसे किसीने चलती ट्रैन से उतरनेको कहा हो , जैसे की किसीने आधी मूवी देखने के बाद अब आगे की देखनेसे मना किया हो , जैसे मुझे किसी से प्यार हो और उसने मुझे पहचान ने से इंकार किया हो , अब दर्द महसूस भी नहीं हो रहा ;या हो रहा था या नहीं मुझे कुछ पता नहीं था , तभी पिछले साल इस साल से ज्यादा बारिश गिरी थी शायद आप सबको याद हो।
थोड़ी देर बाद डॉक्टर साहब ने मुझे कहा कैंसर अब एक नार्मल बीमारी है ,डोंट वरी ज्यादा पैनिक मत होना, मैं आपको कुछ टेस्ट दे रहा हूँ इन्हे करे तभी मैं कुछ हंड्रेड परसेंट बोल पाउँगा। उस दींन उन्होंने मुज़से फीस नहीं ली और कहा के पॉसिबल है तो हस्बैंड को कॉल करके यही बुला सकते है तो बुला लो. मैंने उनकी तरफ देखके हा बोला और केबिन से बाहर निकलकर सीधा घर के तरफ निकली, शायद मैं बहोत ज्यादा डरी हुवी थी, बारिश के दींन थे छाता भी वही भूल आयी और वैसे ही घर लौट आयी; मैं बहोत रो रही थी पर इतनी बारिश मैं मेरे आंसू बड़ी आसानी से छूप गए, कल दिल बेचारा मूवी मैं जब म्यानि को तड़पता हुवा लाचार देखा तो, फिर से उन लम्हो को उसके साथ जीने का मौका मिला, अपने ही फ्यूनरल पे जाना कैसा लगता है ? इस बात पे रोना भी आया सचमें जब फाइनल टेस्ट के रिपोर्ट आने बाकि थे उन दिनों मैंने कई बार मौत को आपने करीब पाया था , ये बात मेरे घरवालों के सिवा मेरा बहोत ही करीबी दोस्त जान ते थे , पर मैं म्यानि की तरह लकी नहीं थी क्योँकि सब बिजी थे। मैंने अपनी जिंदगी मैं आपने दर्द कभी किसी से बाटे नहीं है, मैं सिर्फ लोगो को खुशिया देना चाहती हूँ बिलकुल म्यानि की तरहा।
बीस दींन के बाद मुझे रिपोर्ट मिली , इस बार मेरे हसबैंड मेरे साथ थे , हम जब क्लिनिक पहोचे तब सब शांत था मॉर्निंग का वक़्त था, उसने अभी भी मेरा हाथ पकड़के रखा था , मुज़से ज्यादा वो घबराया हुवा था,कुछ देर बाद हमें अंदर बुलाया डॉक्टर साहब ने रिपोर्ट देखे , तभी मेरा फ़ोन बहोत बार वाइब्रेट हो रहा था मैं समझ गयी थी , आज रिपोर्ट मिलने वाले थे तो मेरे दोस्त बहोत ज्यादा परेशान थे तो वो लोग मुझे कॉन्टिनुएस कॉल कर रहे थे, मैंने अपना मोबाइल साइलेंट मोड पे रखा, और डॉक्टर की तरफ देखा , डॉक्टर स्माइल कर रहे थे , बोले यू आर अप्सोलुटली ओके डिअर , कैंसर जैसी कोई बीमारी नहीं है आपको। सो बी हैप्पी। मैं बस देखती रह गयी , इस बार भी मैं सेम रूम ,सेम चेयर पे मैं बैठी थी पर उस दींन की और आजकी फीलिंग्स मैं जमिन आसमान का फरक था , मेरे ने हस्बैंड ने मुझे तुरंत हग की, डॉक्टर साहब ने कहा मुझे थोड़ा टाइम दो के लिवर पे गांठ का क्या कारण हो सकता है, तब तक आप ये दवाई लेते रहे।
लिखनेका तात्पर्य यही था की मौत तो एक दींन सबको आणि है ;पर जीवन मैं जिसके कुछ सपने होते है मौत से ज्यादा उन्हें पूरा न करपाने का दुःख सबसे ज्यादा होता है, हमारे मरने के बाद कोई हमें कुछ दींन के लिए बस याद रखे इस बात से दर्द था, शायद किन्ज़ी और म्यानि के भी बहोत सपने थे पर कितनी आसानी से उन्होंने कहा "Janam kab lena hai aur marna kab hai, hum decide nahi kar sakte par jeena kaise hai woh hum decide kar sakte hai"
सुशांत सींग राजपूत " The Manny" बिलकुल छिछोरा लड़का,पर 'केदारनाथ' का भक्त हूँ भांग 'PK' रास्तो पर रेस लगाकर 'Drive' करने वाला , लड़कियों को कॉल करके सताने वालो को 'डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी' की तरह " शुद्ध देसी रोमांस " की बाते करने वालो को; मैदानों मैं ले जा 'M.S Dhoni' जैसे सिक्सर लगाके उड़ती 'सोंनचिडिया' के भी पर गिनवा लेते थे तुम; फिर सबको थैंकू के बदले 'वेलकम कर न्यू यार्क' वाली इंग्लिश झाड़ने वाले तुम , सचमें लगता ही नहीं अब हमारे बीच तुम रहे नहीं। कुछ तो तुमसे 'राब्ता' था तभी आज भी कान तरस जाते है "काय पो छे सुन्ने को" , पर हमें पता है " दिल बेचारा " है।
तुम तो चले गए पता नहीं क्योँ? पर तुम्हारी हर मूवी कुछ तो सिखाती जरूर है , वैसे ही तुमने अपनी लास्ट मूवी से मुझे ये सिखाया है, के मौत के पास जाकर वापस आने वाले बहोत कम होते है, शायद जिंदगी ने मुझे और एक मौका दिया आपनो से प्यार करनेका जिंदगी को खुलकर जीने का, सपनो को पूरा करने का।
Thank you so much to all for reading this.
Blog By,
Padmaja S. Rajguru
Good bless u dear...👍
ReplyDeleteThanku so much..⚘
ReplyDeleteWow, dear it's very inspiring story, thank you for this story
ReplyDeleteThanku dear..⚘🙏
ReplyDeleteGod blessed you and great success ahead 😊
ReplyDeleteThanku so much for your kind words..⚘
ReplyDeleteWahhh 👍 dats caled spirit... Khulke jiyo ji bhar k haso 😊
ReplyDeleteThanku so much ☺🤟⚘
ReplyDeleteअप्रतिम... काहीतरी शिकवून जाणारा.. आणि विचार करायला लावणारा.. पुढे काय याची उत्सुकता शेवटपर्यंत ठेवणारा माझ्या वाचनातील एक महत्वाचा तितकाच सुंदर लेख.. खरच खूपच प्रेरणादायी.. thanks mam
ReplyDeletethank u so much for appreciating...
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