जब मैंने २१ साल के लड़के को मरते हुवा देखा .. अब भावपूर्ण श्रद्धांजली लिखा नहीं जाता।⚘
आसमान मैं तारे क्या कम थे,जो और बढाने पर तूले है कैसे रोकू इस कारवाँ को , जो लम्बे सफर पे चले है। .. मौत तो एक दींन सबको आणि है , तो अलविदा कहने की जल्दी क्योँ ? मासूम से चेहरो पर झुर्रियां देख ना पाए , यैसा माँ-बाप का नसीब क्योँ ? जमीं पर रहकर ही , अब आसमान को ताकना चाहते है , आसमान से बारिश नहीं, टिमटिमाते तारे वापिस चाहते है फेक कर एक बड़ा सा पत्थर आसमान मैं , उनको जमीं पर उतारना चाहते है। लेखिका , पद्मजा राजगुरु Please it's a deep request to stay at home and use the mask.