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जब मैंने २१ साल के लड़के को मरते हुवा देखा .. अब भावपूर्ण श्रद्धांजली लिखा नहीं जाता।⚘

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आसमान मैं तारे क्या कम थे,जो और बढाने पर तूले है कैसे रोकू इस कारवाँ को , जो लम्बे सफर पे चले है। .. मौत तो एक दींन सबको आणि है , तो अलविदा कहने की जल्दी क्योँ ? मासूम से चेहरो पर झुर्रियां देख ना पाए , यैसा माँ-बाप का नसीब क्योँ ? जमीं पर रहकर ही , अब आसमान को ताकना चाहते है , आसमान से बारिश नहीं, टिमटिमाते तारे वापिस चाहते है फेक कर एक बड़ा सा पत्थर आसमान मैं , उनको जमीं पर उतारना चाहते है। लेखिका , पद्मजा राजगुरु Please it's a deep request to stay at home and use the mask.

मैं और मेरी चाय..

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बची हुवी चायपत्ति से,  छन्नी से उतारे गए दूध को  मैंने बचपन से चाय समझकर पिया था .....  कभी कबार रिश्ते दारों  के यहाँ  गलतीसे पूछा चाय पियोगी क्या  माँ बाप के होते हुवे  हाँ बोलने का प्रयास न हुवाँ .....  इतनी सिद्दत से मैंने तुमको चाँहा के  पेट दुखने के बहाने से , काली चाय ही सही  पर तुमसे रूबरू, एक मुलाक़ात तो हो जायें .....  आखिर वो वक़्त आही गया, जब पूरी कायनात तुमको हमसे मिलाने की शिद्दत मैं जुट गयी   के कॉलेज मैं दोस्तों के साथ नुक्कड़ पे तुम जो मिल गयी .....   लेखिका ,  पद्मजा राजगुरु